अब ज़रा कल्पना कीजिये, रांची के चारों ओर जिन क्षेत्रों से होकर २०० फीट चौड़ी रिंग रोड बनाई जा रही है उसे हाल ही में अधिग्रहित की गई है और उसका अभी मुआवजा राशि का भुगतान की प्रक्रिया ही चल रही है.सरकार की इस अदूरदर्शी प्रक्रिया में हजारों लोग बेघर-बार हो चूके हैं.यदि इसके अलावे यदि पुनः ६०० फीट चौड़ा क्षेत्र अधिग्रहित किया गया तो शहरी क्षेत्र के लाखों लोग तो बेघर-बार तो होगें ही, गाँव के गाँव उजड़ जायेगें.
इस मुद्दे पर बिल्कुल असंवेदनशील समाचार पत्रों में खबर प्रकाशित होने के बाद प्रभावित क्षेत्रों में हडकंप मच गया है और लोग इतने गुस्से में हैं कि दो सौ फीट चौड़ी सड़क का निर्माण भी बाधित होनी तय है,यदि सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट न की
झारखंड के नव पदास्थापित मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा को चाहिये कि राज्य के मुख्य सचिव से अविलंब जबाव तलब कर अपनी सरकारी नीति तय करें कयोंकि विकास का अर्थ यह नहीं है कि उसका आधार मूलतः व्यापक विनाश हो और जहां विनाश होगा,वहाँ अपराध-उग्रवाद बढ़ेगा: जिसे रोक पाना काफी मुश्किल होगी
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